मुंबई का पालघर इलाका...यहां जाकर किसी से भी रोशनी भुईर के बारे में पूछिए, तो उसकी आंखों में चमक और मुंह में पानी आ जाता है। इसकी वजह है 40 साल की रोशनी के हाथों बने खाने का जादू। पिज्जा, बर्गर और पास्ता की दुनिया में रहने वाले जब एक दफा रोशनी भुईर के हाथ की भाखरी, भरवां वांगी, झुनका,प्याज की काली सब्जी और आगरी मसाले में लिपटी मछली का स्वाद चख लेते हैं तो जंक फूड भूल जाते हैं।
इनके हाथ का बना खाना खाने के बाद वे यह जरूर पूछते हैं- रोशनी ताई, गली दफा मेला कहां लग रहा है। मुंबई में पालघर के गांव घरसार में रहने वाली रोशनी भुइर गांव का देसी स्वाद परोस कर साल के 7 से 10 लाख रुपए तक कमा लेती हैं। पिछले साल बांद्रा में लगे मेले में तो उन्होंने 17 लाख रुपए का कारोबार कर लिया था।
रोशनी की मेहनत और कमाई देख उनके पति ने भी नौकरी छोड़ दी और अब इस काम में पत्नी का हाथ बंटाने लगे हैं। इन्हें देखकर पालघर में ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही हैं और उनकी आय में भी इजाफा हुआ है। रोशनी की इस कामयाबी में केंद्र सरकार की योजना रूरल लाइवलीहुड स्कीम बड़ी मददगार रही है। इसके तहत गांव की महिलाओं को जो काम भी करना आता है उन्हें उसके लिए बाजार दिया जाता है। महाराष्ट्र में ज्यादातर ग्रामीण महिलाओं ने खाना बनाने का काम चुना है।